Covid19 : Dolo 650 कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं और फार्मा कंपनियों को काफी बढ़ावा मिला है. कई फार्मा कंपनियां अरबों का व्यापार कर रही है. इसी कड़ी में डोलो 650 (Dolo 650) टैबलेट के निर्माता कंपनी भी शामिल है. महामारी के दौरान ज्यादातर डॉक्टर्स की पर्ची में ये दवा शामिल है. पिछले कुछ हफ्तों में ओमिक्रोन के मामले बढ़े हैं, जिसके बाद सोशल मीडिया पर फिर से डोलो 650 की चर्चा तेजी से हो रही है. Dolo पर मीम्स और पोस्ट भी शेयर किए जा रहे हैं. कोविड-19 महामारी Dolo 650 की 350 करोड़ गोलियां (Pill) बिकीं. बताया जा रहा है कि करीब 567 करोड़ रुपये की सेल की गई. कुछ लोग इसे नेशनल टेबलेट भी कह रहे हैं.
डोलो-650 की मार्केट हिस्सेदारी बढ़कर करीब 60 फीसदी तक पहुंच गई है. डोलो (Dolo 650) को बेंगलुरु की माइक्रो लैब्स (Micro Labs) बनाती है. ये एक 650mg वाली पैरासीटामोल (Paracetamol) टेबलेट है जिसका इस्तेमाल बुखार (Fever) और दर्द से राहत के लिए किया जा रहा है. माइक्रो लैब्स (Micro Labs) लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दिलीप सुराणा (Dilip Surana) डोलो के निर्माण और चुनौतियों को लेकर कहा कि पैरासिटामोल (Paracetamol) 500 मिलीग्राम बाजार में हमेशा भीड़ रहती थी और हम एक अंतर के साथ पैरासिटामोल लेना चाहते थे. हमने बाजार का अध्ययन किया और डॉक्टरों के साथ चर्चा की. बाजार में उपलब्ध टेबलेट बुखार और दर्द से राहत में पर्याप्त नहीं थी. डोलो-650 ने इस कमी को पूरा करने का समाधान था और इस तरह इसे 1993 में लॉन्च किया गया था. इसके आकार और निगलने की क्षमता सुनिश्चित कर अंडाकार आकार में लाया गया.
दिलीप सुराना ने बताया कि डोलो 650 को दोहरा पसंद किया गया. कोविड होने पर इस दवा को लिया गया तो वहीं वैक्सीन के बाद भी डॉक्टर्स ने डोलो 650 खाने की सलाह दी. वैक्सीनेशन ड्राइव के दौरान माइक्रो लैब्स ने पोस्टर लगाकर लोगों को बताया कि अब आपको क्या करना है और क्या नहीं. ये पोस्टर्स देश के प्राय: सभी वैक्सीनेशन सेंटर पर लगाए गए. सभी पोस्टर्स पर डोलो का नाम भी था.